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अहंकार मिटाओ, सुख शांति पाओ लेखनी प्रतियोगिता -24-Aug-2022

*अहंकार मिटाओ, सुख शांति पाओ*

और नहीं कोई यहां, केवल शत्रु तेरा अहंकार
चले कभी ना एक तरफा, ये दो धारी तलवार

खूबियों का हो गुमान, ये मन में तभी पनपता
एक यही जिसके कारण, हर सम्बन्ध दरकता

चढ़ता है जब सर पर, ये ताण्डव खूब मचाता
बनी बनाई गृहस्थी को, खण्डहर नुमा बनाता

रिश्तों में सन्तुलन बिगड़े, चले जो इसका दाव
इलाज ना पाओगे जिनका, ये करता ऐसे घाव

सरल नहीं इसे मिटाना, ये बहुत कड़ा संस्कार
मर के भी ना होता कभी, छोड़ना हमें स्वीकार

कष्टदायक अहंकार को, त्यागने की पहल करो
सबके लिए दिल में तुम, सम्मान का भाव भरो

खुद को झुकाने से, सामने वाला झुक जाएगा
तेरे संग संग उसका भी, अहंकार मिट जाएगा

दुखदाई सूनेपन की, घड़ियां सभी मिट जाएगी
सुख शांति खुद ही तेरे, जीवन में दौड़ी आएगी

*ॐ शांति*

*मुकेश कुमार मोदी, बीकानेर*
*मोबाइल नम्बर 9460641092*

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16 Comments

Mithi . S

26-Aug-2022 02:31 PM

Nice

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Achha likha hai aapne 🌺💐

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